मेरे मन में एक सवाल हमेशा कौंधता था कि मेरा जन्म मानव योनि में क्यों हुआ है और हुआ भी तो शान्डिल्य ऋषि के वंश में ही क्यों .... मैं सोचता रहा लेकिन जब 3 दिसंबर को सदगुरू कृष्णायन जी महाराज की अनुपम विद्या दिव्य गुप्त विज्ञान की कक्षा लिया तो सारे जवाब खुद ब खुद मिलते चले गये । मैं एक पत्रकार होने के साथ साथ व्यापारी भी हूँ सो जाहिर है कि इतनी आसानी से फंसने वाला नही था । मुझे इस क्लास से जोडने वाले मित्र नें मेरी फिस 2500 रूपये अपनी जेब से भरी थी इस शर्त के साथ की फायदा ना होने पर पैसे नही मिलेंगे लेकिन मैने उसे दुसरे ही दिन पैसे दे दिये क्योंकि उसके बाद के अनुभव परालौकिक थे । मेरे साथ कई चमत्कारिक घटनाएं घटने लगी जो अब मेरे लिये सामान्य बातें हो गई है । मै गुप्त विज्ञान की कक्षा लेने के बाद प्राप्त हुए दिव्यास्त्रों की सहायता से खुद की मदद तो कर लेता हूँ साथ ही दुसरों को भी ठिक करते रहता हूँ । मैने और भी कई सदगुरूओं को देखा और समझा था लेकिन जो सामंजस्य गुरूदेव के सदविप्र समाज में दिखा वह किसी भी अन्य संस्था मे नही है ।
दिव्यास्त्र - आपके मन में एक बात आ रही होगी कि ये दिव्यास्त्र क्या होते हैं । इसको समझाने के लिये मैं एक बेहतरीन उदाहरण बताता हूँ जो रामायण से संबंधित है . बताइये
राम ने रावण का वध कैसे किये थे ?
जवाब है ब्रह्मास्त्र के द्वारा रावण की नाभि पर वार करके ।
राम के तरकश में तो कई तीर थे फिर राम ने कैसे पहचाने की यही तीर ब्रह्मास्त्र है ?
जवाब है राम ने अपने तरकश से एक सामान्य तीर निकाले उस पर उन्होने ब्रह्माजी को स्थापित करके कहे कि हे ब्रह्मा रावण का मांगा वरदान गरुड़, नाग, यक्ष, दैत्य, दानव, राक्षस तथा देवताओं के लिये अवध्य हो जाऊँ ऐसा था किंतु मैं मनुष्य हूँ अतः आपसे प्रार्थना करता हूँ कि आप स्वयं रावण को कारण बताते हुए उसके प्राण हर लें । तब उस बाण के ऊपर सवार होकर ब्रम्हा रावण के पास जाकर उसे अपनी देह त्यागने को कहे ।
जिन मंत्रो की सहायता से राम ने साधारण से तीर को ब्रह्मास्त्र में बदल दिये वही देवास्त्र और दिव्यास्त्र सदगुरू कृष्णायन जी महाराज के द्वारा प्रदान किये जाते हैं । मैने रेकी भी सीखा और रविशंकर जी के सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल भी देखा किंतु जिन गुप्त मंत्रो की सहायता से मैं अपने दिव्यास्त्रों का आव्हान करता हूँ वह अद्भूत होता है । गुरूदेव द्वारा बताये गये तीन दिव्यास्त्रों ने मेरी जीवनशैली में परिवर्तन ला दिया है । मेरा क्रोध बहुत हद तक समाप्त हो गया है मेरी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है और सबसे बडी बात ये है कि सदविप्र समाज के सारे लोग एक आवाज में इक्ट्ठे हो जाते हैं । छत्तीसगढ सदविप्र समाज के सभी साधक, सिद्धासिद्ध औऱ आचार्य लोग त्तकाल हर किसी की सहायता मे लग जाते हैं ।
यदि किसी को किसी भी तरह की तकलीफ हो या कोई शंका हो तो इन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं - 09300716804 ( आचार्य पटेल जी तिल्दा ) , 09300903477 ( आचार्य संतोष शर्मा जी तिल्दा ) , 09039019303 ( कमल शर्मा, रायपुर ) , 09179034521 ( डब्बू मिश्रा)